टेृन में औरत: भाईसाब मेरे बच्चे को थोडा डाटियें तो बहुत मस्ती कर रहा है | कानपुरिया : ...............
टेृन में औरत: भाईसाब मेरे बच्चे को थोडा डाटियें तो बहुत मस्ती कर रहा है |
कानपुरिया : पान थूक के..क्यो रे मादर चोद।
बहुत मस्ती सूझ रही है
चुपचाप बैठ जा नही तो मइया चोद दोगे तुम्हारी .!!
औरत: भाईसाब रहने दो.. करने दो मस्ती
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चरित्र में कुछ दाग होने भी जरूरी है ...
वर्ना बुढापे में गँगा में जाकर धोएँगे क्या ??
कच्छे :
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विज्ञापनो की मम्मी कितनी अच्छी होती है.
बच्चे कपड़े गंदे करके आए तो भी
हँस के धोती है.
बचपन में जब हम कपडे गंदे कर के आते थे,
तो पहले हम धुलते थे, बाद में कपड़े
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कानपुरिया : पान थूक के..क्यो रे मादर चोद।
बहुत मस्ती सूझ रही है
चुपचाप बैठ जा नही तो मइया चोद दोगे तुम्हारी .!!
औरत: भाईसाब रहने दो.. करने दो मस्ती
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चरित्र में कुछ दाग होने भी जरूरी है ...
वर्ना बुढापे में गँगा में जाकर धोएँगे क्या ??
कच्छे :
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बच्चे कपड़े गंदे करके आए तो भी
हँस के धोती है.
बचपन में जब हम कपडे गंदे कर के आते थे,
तो पहले हम धुलते थे, बाद में कपड़े
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