जिसके पास 7.5 तोला सोना या 52.5 तोला चांदी या इसके बराबर की रक़म पर साल गुजर गया तो ज़क़ात फ़र्ज़ हो गई | Zakat kaise nikale uske 16 points hain.
***** ज़क़ात *****
1. जिसके पास 7.5 तोला सोना या 52.5 तोला चांदी या इसके बराबर की रक़म पर साल गुजर गया तो ज़क़ात फ़र्ज़ हो गई
📕 फ़तावा आलमगीरी,जिल्द 1,सफह 168
2. औरतो के पास जो ज़ेवर होते हैं उनकी मालिक औरत खुद है तो अगर सोना चांदी मिलकर 52.5 तोला चांदी की कीमत बनती है तो उसपर ज़क़ात फ़र्ज़ है
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 62
* ज़क़ात 2.5% यानि 100 रुपए में 2.5 रुपए हैं
3. बाप अपनी बालिग़ औलाद की तरफ से या शौहर बीवी की तरफ से ज़क़ात या सदक़ए फ़ित्र देना चाहे तो बगैर उनकी इजाज़त के नहीं दे सकता
📕 फ़तावा अफज़लुल मदारिस,सफह 88
4. हाजते असलिया यानि रहने का घर,पहनने के कपड़े,किताबें,सफर के लिए सवारियां,घरेलु सामान पर ज़क़ात फ़र्ज़ नहीं है
📕 फ़तावा आलमगीरी,जिल्द 1,सफह 160
5. सगे भाई-बहन,चाचा,मामू,खाला,फूफी,सास-ससुर,बहु-दामाद या सौतेले माँ-बाप को ज़क़ात की रक़म दी जा सकती है
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 60-64
6. ज़क़ात,फ़ित्रा या कफ़्फ़ारह का रुपया अपने असली माँ-बाप,दादा-दादी,नाना-नानी,बेटा-बेटी,पोता-पोती,नवासा-नवासी को नहीं दे सकते
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 60
7. कफ़न दफ़न में तामीरे मस्जिद में मिलादे पाक की महफ़िल में ज़क़ात का रुपए खर्च नहीं कर सकते किया तो ज़क़ात अदा नहीं होगी
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 24
8. अफ़ज़ल है कि ज़क़ात पहले अपने अज़ीज़ हाजतमंदों को दें दिल में नियत ज़क़ात हो और उन्हें तोहफा या क़र्ज़ कहकर भी देंगे तो ज़क़ात अदा हो जाएगी
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 24
9. अफ़ज़ल है कि ज़क़ात व फितरे की रक़म जिसको भी दें तो कम से कम इतना दें कि उसे उस दिन किसी और से सवाल की हाजत न पड़े
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 66
10. हदीस में है कि रब तआला उसके सदक़े को कुबूल नहीं करता जिसके रिश्तेदार मोहताज हो और वो दूसरों पर खर्च करे
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 65
11. तंदरुस्त कमाने वाले शख्स को अगर वो साहिबे निसाब ना हो तो उसे ज़क़ात दे सकते हैं पर उसे खुद माँगना जायज़ नहीं
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 61
12. किसी पर 1 लाख रुपए क़र्ज़ हैं उसको कहीं से 1 लाख रुपए मिल गए अगर वो अपना क़र्ज़ नहीं चूकाता तो बुरा करता है मगर अब भी उसपर ज़क़ात फ़र्ज़ नहीं है
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 15
13. जिसके पास खुद का मकान,दुकान,खेत या खाने का गल्ला साल भर के लिए मौजूद हो मगर वो साहिबे निसाब ना हो तो उसे ज़क़ात व फ़ित्रा दे सकते हैं
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 62
14. काफिर व बदमज़हब को ज़क़ात फ़ित्रा हदिया तोहफा कुछ भी देना नाजायज़ है अगर उनको ज़क़ात व फितरे की रकम दी तो अदा न होगी
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 63-65
* सुन्नी मदारिस को ज़क़ात व फ़ित्रा दे सकते हैं मगर वहाबी देवबंदी क़ादियानी खारजी शिया अहले हदीस जमाते इस्लामी वाले व इन बदअक़ीदों के मदारिस को ज़क़ात व फ़ित्रा नहीं दे सकते अगर देंगे तो अदा नहीं होगी
15. पालिसी या f.d अपने नाम है तो ज़क़ात फ़र्ज़ है लेकिन अपनी नाबालिग औलाद को देकर उनको मालिक बना दिया या उनके नाम से फिक्स किया तो ज़क़ात नहीं
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 11
16. ज़क़ात व फ़ित्रा बानी हाशिम यानि की सय्यदों को नहीं दे सकते
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 63
* अगर कोई सय्यद साहब परेशान हाल हैं तो उनकी मदद करना मुसलमान पर ज़रूरी है उनकी मदद अपने असली माल से करें ज़क़ात व फ़ित्रा से नहीं
1. जिसके पास 7.5 तोला सोना या 52.5 तोला चांदी या इसके बराबर की रक़म पर साल गुजर गया तो ज़क़ात फ़र्ज़ हो गई
📕 फ़तावा आलमगीरी,जिल्द 1,सफह 168
2. औरतो के पास जो ज़ेवर होते हैं उनकी मालिक औरत खुद है तो अगर सोना चांदी मिलकर 52.5 तोला चांदी की कीमत बनती है तो उसपर ज़क़ात फ़र्ज़ है
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 62
* ज़क़ात 2.5% यानि 100 रुपए में 2.5 रुपए हैं
3. बाप अपनी बालिग़ औलाद की तरफ से या शौहर बीवी की तरफ से ज़क़ात या सदक़ए फ़ित्र देना चाहे तो बगैर उनकी इजाज़त के नहीं दे सकता
📕 फ़तावा अफज़लुल मदारिस,सफह 88
4. हाजते असलिया यानि रहने का घर,पहनने के कपड़े,किताबें,सफर के लिए सवारियां,घरेलु सामान पर ज़क़ात फ़र्ज़ नहीं है
📕 फ़तावा आलमगीरी,जिल्द 1,सफह 160
5. सगे भाई-बहन,चाचा,मामू,खाला,फूफी,सास-ससुर,बहु-दामाद या सौतेले माँ-बाप को ज़क़ात की रक़म दी जा सकती है
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 60-64
6. ज़क़ात,फ़ित्रा या कफ़्फ़ारह का रुपया अपने असली माँ-बाप,दादा-दादी,नाना-नानी,बेटा-बेटी,पोता-पोती,नवासा-नवासी को नहीं दे सकते
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 60
7. कफ़न दफ़न में तामीरे मस्जिद में मिलादे पाक की महफ़िल में ज़क़ात का रुपए खर्च नहीं कर सकते किया तो ज़क़ात अदा नहीं होगी
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 24
8. अफ़ज़ल है कि ज़क़ात पहले अपने अज़ीज़ हाजतमंदों को दें दिल में नियत ज़क़ात हो और उन्हें तोहफा या क़र्ज़ कहकर भी देंगे तो ज़क़ात अदा हो जाएगी
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 24
9. अफ़ज़ल है कि ज़क़ात व फितरे की रक़म जिसको भी दें तो कम से कम इतना दें कि उसे उस दिन किसी और से सवाल की हाजत न पड़े
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 66
10. हदीस में है कि रब तआला उसके सदक़े को कुबूल नहीं करता जिसके रिश्तेदार मोहताज हो और वो दूसरों पर खर्च करे
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 65
11. तंदरुस्त कमाने वाले शख्स को अगर वो साहिबे निसाब ना हो तो उसे ज़क़ात दे सकते हैं पर उसे खुद माँगना जायज़ नहीं
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 61
12. किसी पर 1 लाख रुपए क़र्ज़ हैं उसको कहीं से 1 लाख रुपए मिल गए अगर वो अपना क़र्ज़ नहीं चूकाता तो बुरा करता है मगर अब भी उसपर ज़क़ात फ़र्ज़ नहीं है
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 15
13. जिसके पास खुद का मकान,दुकान,खेत या खाने का गल्ला साल भर के लिए मौजूद हो मगर वो साहिबे निसाब ना हो तो उसे ज़क़ात व फ़ित्रा दे सकते हैं
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 62
14. काफिर व बदमज़हब को ज़क़ात फ़ित्रा हदिया तोहफा कुछ भी देना नाजायज़ है अगर उनको ज़क़ात व फितरे की रकम दी तो अदा न होगी
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 63-65
* सुन्नी मदारिस को ज़क़ात व फ़ित्रा दे सकते हैं मगर वहाबी देवबंदी क़ादियानी खारजी शिया अहले हदीस जमाते इस्लामी वाले व इन बदअक़ीदों के मदारिस को ज़क़ात व फ़ित्रा नहीं दे सकते अगर देंगे तो अदा नहीं होगी
15. पालिसी या f.d अपने नाम है तो ज़क़ात फ़र्ज़ है लेकिन अपनी नाबालिग औलाद को देकर उनको मालिक बना दिया या उनके नाम से फिक्स किया तो ज़क़ात नहीं
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 11
16. ज़क़ात व फ़ित्रा बानी हाशिम यानि की सय्यदों को नहीं दे सकते
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 63
* अगर कोई सय्यद साहब परेशान हाल हैं तो उनकी मदद करना मुसलमान पर ज़रूरी है उनकी मदद अपने असली माल से करें ज़क़ात व फ़ित्रा से नहीं